सनातन धर्म के शास्त्रों ,संतो ,संस्कृति ,पूजा पद्धति ,ऋषियों ,मुनियों ,वेदों ,उपासना ,प्रार्थना ,उदारता ,आत्मविश्रांति प्राप्त महापुरुषों में मैंने जैसी विराट पूर्णता का अनुभव किया वैसे विश्व में और किसी भी और कहीं भी व्यक्तित्व और धर्म ,मजहब,आदि में नहीं देखा ,बड़े ही सूक्ष्मता और प्रमाणिकता के साथ जीवन के हर पहलु भौतिक और अध्यात्मिक सभी क्षेत्रो में सनातन धर्म ने अपनी पूर्णता सिद्ध की है ,इसके धारण करने से कोई भी मनुष्य उस परमपद पर सहज ही पहुँच जाता है जिसको जानना और अनुभव में लाना असाध्य ही लगता है ,शांति पूर्वक और निष्पक्ष रूप से ,स्पष्ट रूप से ,तथा मानव मात्र के सर्वागीं विकास के लिए सनातन धर्म का आदिग्रेहन परम आवशक है ,कोई भी मनुष्य सनातन धर्म को निष्पक्ष रूप से अनुभव करे तो ज्ञात होगा की जीवन के सभी पहलुओ को सनातन धर्म ने विशुद्ध रूप से जाना है ,तत्व से जाना है , धर्म ,मजहब ,पंथ ,वाडे, आदि सब उस एक परमात्मा से ही उत्पन्न हुए है और एक दिन सब उसी में समां जायेंगे ,धर्म का शुद्ध स्वरुप तो सनातन ही है ,इस्लाम ,इसाई ,सिख ,पारसी ,आदि जितने धर्म है वो भी श्रेष्ठ है सब में अनंत खुबिया है ,भगवान तक पहुँचाने की ताक़त है लेकिन ये सनातन धर्म तो अद्भुत है इश्वेर को कही दूर नहीं अपना आत्मा ही सिद्ध कर दिया और पहले वो बाद में सब , यानि हम तो है ही नहीं सिर्फ इश्वर ही है , और सैंकड़ो महापुरुषों ने ये अनुभव किया और करवाया भी , दुनिया के कट्टर लोगो ने ,मूर्खो ने ,कड़ा विरोध भी किया लेकिन सत्य न कभी तंग होता है और न पराजित ,वहा जहा सत्ये है वहा जगत का बड़ा अभाव है , ऐसा महान अनुभव करवाने वाले रास्ते का नाम है सनातन धर्म ,जिस जिस ने उस इश्वर का अनुभव किया उसको दुसरे धमो ने सूली पर टांग दिया ,तो किसी को मार दिया गया ,किसी को कीले ठोक कर क्रोस पर तांगा गया ,तो कभी जेहर दे कर मार दिया गया लेकिन आज वही धर्म उस महापुरुषों को भगवान की तरह पूजते है , इनमे भी सनातन धर्म ने बड़ी उदारता का परिचय दिया जो इश्वर के रस्ते गए उनका आदर किया ,जो दुसरो को भी लेकर चले उन्हें गुरु मान कर आदर दिया ,जिसने पूर्ण परमात्मा का अनुभव किया उसको तो साक्षात् भगवान ही मान कर पूजा गया आदिकाल से ही सनातन धर्म अपने महान गुणों और व्यापक तथ्यों के आधार पर हजारो नित्य अवतारों का निमित बना , ये इसकी बड़ी महान उपलब्धि है ,सनातन धर्म में अनेको देविदेवता ,और अपने इश्वर को अपने अनुसार पूजने की ,बनाने की ,और मानने की छूट दी गयी है , कोई जबरदस्ती नहीं ,की ऐसा ही मानो ,सनातन धर्म का कोई मसीहा नहीं ,कोई जन्मदाता नहीं , बल्कि जो भी अवतार ,संत ,सिद्ध ,हुए ,भगवान के जो अवतार हुए ,सब इस धर्म में हुए , इसलिए ये आदि धर्म है ,सनातन अर्थार्त सदा रहने वाला ..............स्वयाम्बू स्वयं ही उत्पन्न होने वाला .....इसलिए इसकी झोली में अनेक ग्रन्थ ,वेद ,शास्त्र,पुराण ,स्मृतिया ,टिकाये ,और अनुभव शास्त्र भरे पड़े है ,इसमें जीवन की गहराई का हर पहलु विद्यमान है ,वो भी सम्पूर्ण रूप से द्रष्टिगत है ,सनातन धर्म अनुभव करने का वो विहंगम मार्ग है जिस के आश्रय में पंगु को पैर ,गूंगे को वाणी,अंधे को आँखे ,और मुर्ख को बुद्धि ,अज्ञानी को ज्ञान ,जिज्ञासु की पिपासा शांत होती है ,जगत का रहस्य स्पष्ट हो जाता है और इश्वर का अनुभव हो जाता है ऐसा हमने कही और न ही देखा और न सुना , इसलिए सनातन संस्कृति आज तक नहीं मिटी , इस धर्म पर इतने जुल्म हुए ,इसको मिटाने की हर संभव कोशिश की गयी और आज भी की जा रही है पर सनातन तो सनातन है उसको कौन मिटाएगा , जो जन्मेगा सो ही तो मरेगा , जो जन्मा ही नहीं वो मिटेगा भी नहीं , सनातन धर्म तो सबका धर्म है उदारता का सूर्ये है ,सद्गुणों का महासागर है ,सारे संसार का पथ प्रदर्शक है , सनातन धर्म की महिमा को गाया जाना ऐसा है जैसे आकाश को अपनी मुठी में बंद करना ! इसकी महिमा अगाध है ,शब्दातीत है ,भावातीत है ,सनातन धर्म तो ईश्वर को अनुभव करने का धर्म है ईश्वर को अलग मानने कर नहीं .! सबको चाहिए ईश्वर की सत्ता का अनुभव करे और इस धर्म का आदर करे ,ईश्वर सबके है और वो एक ही है ,अपनी संकीर्णताओ से ऊपर उठ कर मानव मात्र उस का आश्रय ले कर परमसुख का अनुभव कर सकता है
सत्ये सनातन धर्म की जय , भारत माता की जय ,साधू संतो की जय ,सदगुरुदेव भगवान की जय
आपका भाई
देव पुष्करना
No comments:
Post a Comment