Thursday, July 4, 2013

आई लव यु ---- माँ

बुद्धि पर कैसा अज्ञान छाया है ,
जिसकी गोद में खोली पलके उसको ही भुलाया है ,
प्यार की परिभाषा देने में कितना वक़्त लगाया है ,
कैसी विडंबना है कि किसी को माँ शब्द याद नहीं आया है ,
प्यार का सबने अपना अनुमान लगाया है ,
पर प्यार को कभी कोई समझ नहीं पाया है ,
अरे भूतकाल का वो पहला दिन याद करो ,
किसने दिया जनम और किसने दूध पिलाया है ,
उसको भूल गए क्यों हाय ,
ये कैसा ईश्वर याद आया है ,
दोनों को अलग मानते हो ,
भारत के इतिहास में ये कैसा काल आया है ,
माँ तो प्रेम की पराकाष्टा है ,
जिसको ईश्वर ने बनाया है ,
माँ का प्यार पाने की खातिर ,
कई बार खुदा अवतार बन कर आया है ,
दुःख इस बात का नहीं मेरे सीने में ,
कि प्यार की परिभाषा अलग अलग दी सबने ,
दुःख इस बात का है कि माँ की विस्मृति से ,
दुःख के हृदय में दुःख भर आया है ,
 माँ तो माँ है माँ से बड़ा कोई नहीं ,
ये माँ का प्यार ही तो है जो कलम में भर आया है ,
माफ़ कर देना मुझको अगर कुछ गलत कहा ,
है कोई माई का लाल जिसने माँ के प्रेम से अधिक ,
कही और प्रेम पाया है ,
फिर कभी मत पूछना दोबारा कभी ,
एक शब्द में प्रेम क्या है ,
इसके उत्तर में सिर्फ माँ ने ही सिघासन जमाया है 
.अनंत अनंत ब्रह्मांडो में व्याप रहा जो प्रेम है ,
वो प्रेम का अनुभव सिर्फ माँ में समाया है .
 आई लव यू माँ
(देव पुष्करना )

No comments:

Post a Comment