शब्दों की महिमा
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शब्दों की आत्मा स्वयम शब्द होते है !
जब गहराई से निकलते है तो लोग स्तब्ध होते है
वेद भी कहते है शब्द ब्रह्म महान है
ॐ ये है ब्रह्म ये है ,ये ही सारा जहाँ है
शब्दों के जहान में
कुछ कमी नहीं होती
कोई सीमा नहीं होती
आकाश नहीं होता
कोई ज़मी नहीं होती
बस ! शब्द सर्वत्र होते है क्योकि
शब्दों की आत्मा स्वयम शब्द होते है
जख्म हथियार के कितने भी गहरे हो जाए
आखिर मिट ही जाते है
पर शब्द तो हिरदे में चुभ जाते है ,
जिसके जख्म को भरना ,
मुमकिन हो नहीं सकता
शब्दों में भगवान की सूक्ष्म शक्ति है
वेदों और शास्त्रों में शब्दों से ही तो भक्ति है !
शब्दों की महिमा अपरम्पार है
शब्दों की शक्ति से चल रहा संसार है
शब्द अगर हो जाये लुप्त ,इस संसार से
न आदमी है ,न मानवता है ,न ही कोई व्यापार है
शब्दों से ही कल्पना साकार होती है
शब्दों से ही व्रती एकाकार होती है
शब्दों में इक शब्द ओंकार है जिस ,
शब्द की ब्रह्माण्ड में झंकार होती है
शब्दों में तो साक्षात् भगवान बसे होते है
शब्दों की आत्मा स्वयम शब्द होते है
जब गहराई से निकलते है तो लोग स्तब्ध होते है
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देव पुष्करना
चरण धूलि
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